कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ भारत को अहम हथियार देने वाली महिला मीनल दखावे भोसले

कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ भारत को 'अहम हथियार' देने वाली महिला "मीनल दखावे भोसले"

कोरोना वायरस के खौफ से पूरी दुनिया सहमी हुई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. ऐसे में पुणे की एक महिला ने ऐसा काम किया है कि पूरा देश उन पर नाज कर सकता है. उनकी एक खोज देश में कोरोना से लड़ने के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकती है.

मीनल दखावे भोसले

मीनल मूल रूप से पुणे महाराष्ट्र की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती श‍िक्षा अहिल्यादेवी हाईस्कूल से ली है. इसके बाद पुणे यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉली में काम किया.
वर्तमान में मीनल मायलैब लाइफसोल्यूशंस में रीसर्च एंड डेवलपमेंट लैब हेड के तौर पर काम कर रही हैं. ये बायोटेक्नोलॉजी टूल्स कंपनी है जो मूल रूप से रीसर्चर्स और डायग्नोस्टिक प्रोफेशनल्स के लिए काम करती है.
वर्तमान में मीनल मायलैब लाइफसोल्यूशंस में रीसर्च एंड डेवलपमेंट लैब हेड के तौर पर काम कर रही हैं. ये बायोटेक्नोलॉजी टूल्स कंपनी है जो मूल रूप से रीसर्चर्स और डायग्नोस्टिक प्रोफेशनल्स के लिए काम करती है.
Monetize your website traffic with yX Media

मीनल ने दिखाई रोशनी की किरण 

पुणे की एक डायनोस्टिक फर्म में काम करने वाली इस महिला वायरोलॉजिस्ट ने देश की पहली कोविड-19 टेस्ट किट विकसित की है. इनका नाम है मीनल दखावे भोसले . जी हां, जब दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों ने टेस्ट के जरिये बड़े पैमाने पर इस महामारी पर काबू करने में कामयाबी पाई है.
ऐसे में भारत के लिए मीनल की यह खोज देश में रोशनी की किरण बन सकती है. टेस्ट किट की कमी का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि देश में 10 लाख लोगों में अब तक सिर्फ करीब 7 लोगों का ही कोरोना टेस्ट संभव हो पाया है.

गर्भवती होने के बावजूद दिन-रात की मेहनत 

खास बात यह भी है कि मीनल ने जब यह टेस्ट किट विकसित की तब वह गर्भवती भी थीं. अपने बच्चे को जन्म देने के कुछ घंटे पहले तक दिन-रात मेहनत करके उन्होंने देश की पहली मेड इन इंडिया टेस्ट किट विकसित की. बीबीसी ने बताया कि माईलैब कंपनी में अनुसंधान और विकास प्रमुख (R&D), मीनल ने कोरोना वायरस परीक्षण किट केवल छह सप्ताह में विकसित कर दी. जब देशभर के वैज्ञानिक इस बात से परेशान हो रहे थे कि देश में जल्द से जल्द टेस्ट किट विकसित की जाये ऐसे में मीनल ने इसे पूरा कर दिया. पिछले हफ्ते मीनल ने एक बेटी को जन्म दिया. भोसले ने इस किट पर फरवरी में काम काम शुरू किया था.

पहली मेड इन इंडिया किट

भोसले ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "हमारी किट ढाई घंटे में निदान देती है जबकि आयातित टेस्ट किट से कोविड-19 का पता लगाने में छह-सात घंटे लगते हैं." मायलैब्स डिस्कवरी सॉल्यूशंस को इस किट को लेकर 23 मार्च देर रात सभी तरह की नियामकीय स्वीकृति प्राप्त हुईं,. कंपनी के मुताबिक, पुणे जिले के लोनावाला में हर दिन इस तरह की 15,000 से अधिक टेस्ट किट का निर्माण कर सकती है.

हर हफ्ते 2 लाख टेस्ट किट उत्पादन की क्षमता

कंपनी के निदेशक (चिकित्सा मामले) डॉ गौतम वानखेड़े ने बीबीसी को बताया कि मायलैब ने इस सप्ताह पुणे, मुंबई, दिल्ली, गोवा और बेंगलुरु में 150 सैंपल्स के पहले बैच को डायनोस्टिक लैब में भेज दिया. हम हर दिन काम कर रहे हैं. कंपनी का कहना है कि हर हफ्ते कंपनी एक लाख कोरोना टेस्ट किट की सप्लाई करने में सक्षम है. अगर जरूरत पड़ी तो हम हर हफ्ते 2 लाख टेस्ट किट भी बनाने में सक्षम हैं.
Advertising that works - yX Media

कम लागत में टेस्ट संभव 

प्रत्येक किट 100 नमूनों का परीक्षण कर सकती है और इसकी लागत करीब 1200 रुपये बैठती है. वहीं, विदेशी किट की लागत 4,500 रुपये के आसपास बैठती है. यह कंपनी एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और सी और अन्य बीमारियों के लिए परीक्षण किट भी बनाती है.

उद्योग जगत का भी जीता दिल 

मीनल के इस काम ने भारतीय उद्योग जगत के दिग्गजों का दिल भी जीत लिया. इस बारे में महिंद्रा समूह के चेयरमैन ने ट्वीट किया, "आपने देश को आशा की एक किरण भी दिखाई है."
वहीं, बायोकॉन की एमडी किरण मजूमदार शॉ भी भारत के पहले टेस्टिंग किट के पीछे महिला की सराहना करते नहीं थकतीं. वह कहती हैं, "जिस तरह आप जैसी एक महिला ने इस किट बनाने वाली टीम का नेतृत्व किया, उसपर हम सब को गर्व है."

Source:- Economictimes (ET)